अर्गला – इस पाठसे मन माफिक पत्नी मिलती हैं
अर्गला – इस पाठसे मनोहर पत्नी मिलती हैं
अर्गला – इस पाठसे कुलीन पत्नी मिलती हैं
अर्गला – इस पाठसे अपनी तपस्या के बल से भव सागर को पार कराने वाली पत्नी मिलती हैं
महालक्ष्मी के प्रीति को देने वाले इस इस अर्गलास्तोत्र को दुर्गासप्तशती में लिखा गया है। जय एवं यश की प्राप्ति व द्वेष रखने वालों व प्रकट एवं अप्रकट शत्रुओं के विनाश हेतु इसका पाठ किया जाता है। इसके पाठ से रूप एवं रूपवती पत्नी भी प्राप्त होते हैं। रूपसियाँ तो बहुत हो सकती हैं परन्तु वे बिगड़ैल हुयीं तो जिन्दगी खराब कर देंगी। इसलिये इस पाठ में कैसी स्त्री मांगी गई है, आइये देखें-
1. मन माफिक पत्नी मिले
2. मनोहर हो
3. कुलीन हो
4. मोक्ष दिलाने में सहायक ही न हो, अपनी तपस्या के बल से भव सागर को पार करा ही दे।
इस विषय में मेरी दो प्रार्थनाएं हैं।
1. जो बचपन से इस पाठ को करते आये हों कृपया कमेंट में लिख कर बतावें कि उनको कैसी पत्नी मिलीं। न बताना चाहें तो इतना ही लिख दें कि उनका अनुभव इस बात की समर्थन करता है। या नहीं।
2. पुरुष वर्ग ने पत्नी तो अच्छी मांग ली। पर क्या वे खुद वैसे ही बने। नहीं बनोगे तो आपकी पत्नी अपने को ठगी सी महसूस करेंगी क्योंकि अच्छा अपनी अच्छाई को नहीं छोड़ सकता है, झूठमूठ में वह अपने माता पिता व अगुआ को कोसेगी। देखो ऐसा न होने देना।
।।सीताराम।।