मासों में उत्तम मास मार्गशीर्ष मास है। ऐसा ही है। तभी तो श्रीकृष्णजी ने श्रीगीताजी के विभूति योग में कहा है कि मासों में मैं पुरुषोत्तम हूँ।
उस सर्वोत्तम मास में प्रभु श्री रामचन्द्र जी ने जनक नन्दिनी, दुलारी श्रीसीताजु का पाणिग्रहण किया।
शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि धन्य हो गयी एवं वह तिथि विवाह पंचमी कहलायी।
श्रीरामचरितमानस जी में इस प्रसंग को सरस् ढंग से प्रस्तुत किया गया है। मैंने अपनी वाणी को पवित्र करने हेतु इस प्रसंग को तुलसी विवाह पर गाया था। उसे आपकी सेवा में प्रस्तुत कर सकने का सौभाग्य आज विवाह पंचमी के पुनीत वेला में पाकर मैं अति हर्षित हो रहा हूँ।
आज के आनन्द की जय हो
।।जै जै श्रीसीताराम। चारों भइया की जै, चारों दुल्हनिन्ह की जय। दशरथ व जनकजी की सपरिवार जय हो। जै जै श्रीसीताराम।।
सीता मइया का श्री रामचन्द्र जी के साथ विवाह Ram Marries Sita
