भक्ष्याभक्ष्य तथा कर्त्तव्य एवं अकर्त्तव्यका विस्तृत निरूपण ब्रह्मवैवर्त पुराण के अन्तर्गत ब्रह्म खंडः के 27वें अध्याय में भगवान शिव के द्वारा नारदजी को बताते समय किया गया है।
उन विभिन्न वचनों में से मैं किस तिथि को क्या खाना निषिद्ध है इसका वर्णन कर रहा हूँ। ॥ सीताराम॥
1. प्रतिपदा को कूष्माण्ड(कुम्हड़ा) न खाये, क्योंकि यह धन का नाश करने वाला है।
2. द्वितीया को बृहती (छोटा बैंगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है।
3. तृतीया को परवल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है।
4. चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है।
5. पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है।
6. षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातुन मुँह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है।
7. सप्तमी को ताड़ का फल खाने से रोग बढ़ता है तथा शरीर का नाश होता है।
8. अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है। एवं अष्टमी तिथि के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना भी निषिद्ध है।
9. नवमी को लौकी खाना मना है।
10. दशमी को कलम्बी का साग खाना मना है।
11. एकादशी को शिम्बी (सेम) ना खाएं अन्यथा पुत्र का नाश होता है।
एकादशी को चावल व साबूदाना खाना वर्जित है। एकादशी के जो दिन चावल खाता है उसे एक- एक चावल खाने से एक- एक कीड़ा खाने का पाप लगता है…ऐसा डोंगरे जी महाराज के भागवत में डोंगरे जी महाराज ने कहा|
एकादशी के दिन बाल भी नहीं कटवाने चाहिए।
12. द्वादशी को पूतिका(पोई या पोय का साग) खाने से पुत्र का नाश होता है।
13. त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है।
14. चतुर्दशी और पूर्णिमा एवं रविवार के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है।
15. पूर्णिमा के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है।
30. अमावस्या के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है।