भारतीय हिन्दू परिवार में कुछ मूलभूत खासियत हैं।
- यहाँ संयुक्त परिवार को शोभा माना जाता है।
- संस्कारों पर विशेष ध्यान दिया जाता है।
- यहाँ यम के द्वारा हर व्यक्ति अनुशासित रहता है। यम के पाँच अंग हैं – सत्य , अहिंसा , अस्तेय , ब्रह्मचर्य तथा अपरिग्रह।
- नियमों के द्वारा समाज को सुंदर रूप से संचालित करने की सीख दी जाती है। नियम पाँच है – शौच , संतोष , तप , स्वाध्याय तथा ईश्वर – प्रणिधान।
- अपने यहाँ मदर या फादर डे मनाने की जरूरत ही नहीं है क्योंकि यहाँ तो माता, पिता, गुरुजन नित्य वंदनीय हैं। मातृ देवो भव, पितृ देवो भव, इत्यादि हमारे आदर्श वाक्य हैं।
- यहाँ के सिद्धान्त है ‘पितु आयसु सब धर्म क टीका”।
- संघे शक्ति कलियुगे, यह शक्ति घर से ही प्रारम्भ होती है जहां पर संग में भोजन एवं संग में भजन करने का विधान है। इन दो नियमों के पालन मात्र से घर बिखरता नहीं है।
- यहाँ स्त्रियों को पूजनीय माना जाता है,
- अतिथि देवो भव अपने आदर्श वाक्य है। प्राचीन काल में किसी भी के दरवाजे पर कोई भी जा कर भोजन पा सकता था।
- यहाँ ओल्ड एज होम के लिए कोई प्रावधान ही नहीं था क्योंकि बहु वृद्धों और अशक्तों का ध्यान रखती थीं और वृद्ध लोग बच्चों के संस्कार एवं लालन पालन का ध्यान रखते थे।
- जिन लोगों को और जानना हो उनको गीता प्रेस की पुस्तिका राम सुख दास जी की ‘सुन्दर समाज का निर्माण’ अवश्य देखना चाहिए। यह डेढ़ सौ पेज की अति सस्ती पुस्तिका है।