गीता प्रेस एवं श्री ठाकुर प्रसाद दोनों के ही प्रकाशनों के अनुसार इस एकादशी का नाम भी पुत्रदा है और पौष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी का नाम भी पुत्रदा ही है। दोनों का नाम एक ही कैसे हो सकता है। इस शंका का समाधान मलूक्पीठाधीश्वर श्री राजेन्द्र दास जी महाराज के द्वारा हुआ। उनके अनुसार इस एकादशी का नाम पवित्र एकादशी है। गलती कहाँ है जब विशेष जानकारी मिलेगी मैं इसमें अपडेट कर दूँगा।
इस एकादशी की खासियत है कि आपको स्वयं इसे करना जरूरी नहीं है। कोई भी इस व्रत को करके आपको उसका पुण्य दे सकता है। इससे पुत्र प्राप्ति संभव है। ॥ सीताराम॥