फाल्गुन शुक्ल पक्ष की एकादशी को आँवला के पेड़ के नीचे भगवान श्री परशुरामजी की पूजा की जाती है। आंवले की परिक्रमा करते हुये यह भावना की जाती है कि यह हमारे पापों को सोख रही है – क्योंकि इसकी श्रेष्ठता इतनी है कि भगवान श्री रामचंदरजी ने भी इनकी पूजा व परिक्रमा किया था। आंवले के सेवन से प्रतिदिन 3 गाय के दान करने का फल मिलता है।