Religious आध्यात्मिक

हे प्रभु ! आनंद दाता !! ज्ञान हमको दीजिये

हे प्रभु आनंद दाता हे प्रभु  आनंद दाता  ज्ञान हमको दीजिये | शीघ्र सारे दुर्गुणों को दूर हमसे कीजिये || लीजिये हमको शरण में हम सदाचारी बनें | ब्रह्मचारी धर्मरक्षक वीर व्रतधारी बनें || निंदा किसीकी हम किसीसे भूल कर भी न करें | ईर्ष्या कभी भी हम किसीसे भूल कर भी न करें || सत्य बोलें झूठ त्यागें मेल आपस में करें | दिव्य जीवन हो हमारा यश तेरा गाया करें || जाये हमारी आयु हे प्रभु ! लोक के उपकार में | […]

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माघकृष्ण पक्षकी षट्तिला एकादशी की मूल कथा

यह एकादशी तिथि से नहीं अपितु नक्षत्र से तय की जाती है। आर्द्रा या मूल नक्षत्र में ही इसका व्रत होना विधेय है। ।।सीताराम।।

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माघकृष्ण पक्षकी षट्तिला एकादशी

इस एकादशी पर विधेय कर्म तिल जल में डाल कर स्नाना तिल को पीस कर उबटन लगावें तिल का हवन तिल डाल कर पानी पीये भोजन में तिल ले जैसे नाश्ते में तिल के लड्डू तिल का दान

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शंकराचार्य विरचित देव्यपराध क्षमापन स्तोत्र

अद्वैतवाद के प्रवर्त्तक श्रीशंकराचार्य का देवी को अलग मानते हुए क्षमा याचना करना। यदि दूसरा कोई था ही नहीं तो देवी के आगे क्यों झुकना? उनसे क्षमा मांगने का अर्थ है कि उन्होंने माना कि उनसे कोई भूल हुयी है क्योंकि वे कोई हमारे कि तरह सामान्य व्यक्ति तो थे नहीं कि चलो मन में

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दुर्गा द्वात्रिंशन्नाम माला -दुर्गा जी के 32 नाम 32 Auspicious Life Saving Names of Durga

यहाँ के ध्यान के विषय में लिखा है कि महिषासुर -मर्दिनी के ध्यान करना चाहिए। काशीजी में उनका मंदिर लोलर्क कुण्ड के पास है। मोक्षदायिनी काशी के पृष्ठ 33 पर उनके मंदिर होने का उल्लेख है। इस प्राण रक्षक स्तोत्रमें वर्णित 32 नाम निम्नलिखित हैं- दुर्गा, दुर्गार्तिशमनी , दुर्गापद्विनिवारिणी, दुर्गमच्छेदनी, दुर्गसाधिनी, दुर्गनाशिनी, दुर्गतोद्धारिणी, दुर्गनिहन्त्री, दुर्गमापहा,

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गणेश स्तोत्रम् Ganesh Stotra

सामने चित्र में आप देहली विनायक के दर्शन कर रहे हैं। उनके बगल में नृसिंह भगवान को देख रहे हैं जो प्रबल पापों को फाड़ डालते हैं। ये दोनों काशी खण्डोक्त विशिष्ट देव हैं। इनके विषय में विशेष जाने के लिए आप मेरी पुस्तक मोक्षदायिनी काशी के पृष्ट 55 का अध्ययन कर सकते हैं। पुस्तक

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पुत्रदा एकादशी – पौष शुक्ल एकादशी की मूल कथा Putrada Ekadashi-Katha in Sanskrit

पौष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी पुत्र प्राप्तिके लिये प्रशस्त मानी जाती है। ।।सीताराम।। This Ekadashi is said to beget Son. This should be observed even by those who have thier son.

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सफला एकादशी की मूल कथा – पौष कृष्ण पक्ष एकादशी की कथा संस्कृत में SAFLAA EKADASHI KATHA IN SANSKRIT

सफला एकादशी कि कथा संक्षेप में युधिष्ठिर ने पूछा : स्वामिन् ! पौष मास के कृष्णपक्षकी एकादशी का क्या नाम है? उसकी क्या विधि है तथा उसमें किस देवता की पूजा की जाती है ? यह बताइये । भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं : राजेन्द्र ! बड़ी बड़ी दक्षिणावाले यज्ञों से भी मुझे उतना संतोष नहीं

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सफला एकादशी, पौष कृष्ण पक्ष का महात्मय हिंदी में Safla Ekadashi of Poush Krishna Paksh

युधिष्ठिर ने पूछा : स्वामिन् ! पौष मास के कृष्णपक्षकी एकादशी का क्या नाम है? उसकी क्या विधि है तथा उसमें किस देवता की पूजा की जाती है ? यह बताइये ।भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं : राजेन्द्र ! बड़ी बड़ी दक्षिणावाले यज्ञों से भी मुझे उतना संतोष नहीं होता, जितना एकादशी व्रत के अनुष्ठान से होता है

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