उत्तरकाण्ड का पाठ – सस्वर
एक घंटे 12 मिनट के पहले तक के पाठ में रिकॉर्डर इन्स्ट्रुमेंट में कुछ दिक्कत पायी गयी। उसके बाद का पाठ ठीक से रेकॉर्ड हुआ है। आशा है आप इसे त्यागेंगे नहीं। ॥ सीताराम ॥
एक घंटे 12 मिनट के पहले तक के पाठ में रिकॉर्डर इन्स्ट्रुमेंट में कुछ दिक्कत पायी गयी। उसके बाद का पाठ ठीक से रेकॉर्ड हुआ है। आशा है आप इसे त्यागेंगे नहीं। ॥ सीताराम ॥
यह उसी व्रत की कथा है जिसको समुद्र तट पर पूरे सेनापतियों के साथ करने के बाद श्रीरामचन्द्रजी ने अपनी लंका पर विजय यात्रा का उद्योग प्रारम्भ किया था।
Help us for Good Cause Donate Now नारायण कवच को धारण करने वाला जिसको भी देख भी लेता है वह भी समस्त भयों से मुक्त हो जाता है। इसको धारण करने वाला निर्भय हो जाता है। उसके धारण करने की विधि को आप मेरे दूसरे यू ट्यूब में अवश्य देख लीजिएगा।
फाल्गुन कृष्ण पक्ष की एकादशी विजया एकादशी होती है। इसे श्री राम चन्द्र जी ने किया था रावण पर विजय पाने के लिए। यह कथा उसी के महात्म्य कि है। इसके सुन लेने मात्र से भी बहुत लाभ होता है।
फाल्गुन कृष्ण पक्ष की एकादशी विजया का महात्म्य हिन्दी में Read More »
हमारे ऋषियों ने गाय के विषय में कितना महात्म्य गाया है उसके ऊपर मोटे मोटे ग्रंथ बने हैं। गो-गंगा-गायत्री के महत्त्व से कौन हिन्दुस्तानी नहीं परिचित है। मैंने भी अपनी पुस्तक मोक्षदायिनी काशी में उनको पूरा एक अध्याय समर्पित किया है जिसमें मैंने देशी गाय के महत्त्व का प्रतिपादन किया है। विज्ञान सम्मत जानकारी के
विदेशोंमें गायसे प्रेम की नयी लहरCow Cuddling या Cowmmunication Read More »
शुभ कर्म के लिए दान करें Donate Now कृपया इस अति श्रेष्ठ कवचके महात्म्य एवं धारण करने की विधि को बताने वाले मेरे यू ट्यूब को भी अवश्य देखें। वे शीघ्र ही प्रकाशित कर दिये जाएँगे। यह कवच श्रीमदभागवत महापुराण के छठे स्कन्ध के आठवें अध्याय में दिया गया है।
माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी का महात्म्य हिंदी में इसमें कृष्ण व शिव दोनों के ही महत्त्व को स्वीकारा गया है। ॥ सीताराम॥
कृपया 15 मिनट के मेरे यू ट्यूब को देखने के लिए ऊपर दिये गए लिंक को क्लिक करें/ छू लें वसंत पंचमी हिंदुओं का पावन पर्व है। इस समय धरती उल्लसित हो उठती है एवं शीत ऋतु के प्रस्थान की सूचना देने वाले इस पर्व में हमें जीने की नयी उमंग प्राप्त हो जाती है।
तन्त्रोक्तं देवी सूक्तम् यह स्तोत्र देवताओं द्वारा देवी भगवती को प्रसन्न करने के लिये गाया गया था नमो देव्यै महादेव्यै शिवायै सततं नमः। नमः प्रकृत्यै भद्रायै नियताः प्रणताः स्म ताम् ।।1।। रौद्रायै नमो नित्यायै गौर्यै धात्र्यै नमो नमः । ज्योत्स्नायै चेन्दुरूपिण्यै सुखायै सततं नमः ।।2।। कल्याण्यै प्रणतां वृद्ध्यै सिद्ध्यै कुर्मो नमो नमः नैर्ऋत्यै भूभृतां लक्ष्म्यै
तन्त्रोक्तं देवी सूक्तम् Devi Suktam as per Tantra Read More »