Adhyatma

नक्षत्रेश्वर Nakshatreshwar

नक्षत्रेश्वर के दर्शन मात्र से नक्षत्र, ग्रह, और राशियों की पीड़ा समाप्त हो जाती है। (काशी खण्ड 15/9) यह स्थान काशीजी के गंगा व वरुणा के संगम पर स्थित आदिकेशव जी के मन्दिर के बाहर पूर्व दिशा में है। Mere darshan of Nakshatreshwar eradicates the problems created by bad Planetary positions, unfavourable constellations and problems […]

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शिवपुर के पाँचों पांडवा Panchon Pandawa, Shiwpur

पंचकोसी यात्रा के चौथे दिन का पड़ाव – शिवपुर Fourth Halt of Panchkosi Route – Shivpur. वस्तुतः यह पौराणिक पड़ाव नहीं है, जिसे मेरी पुस्तक ‘मोक्षदायिनी काशी’ में विधिवत समझाया गया है। This was not an halt at ancient times, but gradually developed. Full details in this regard may be read in the book ‘Moksdayini

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मार्कण्डेय महादेवजी Markandey Mahadev, Kaithi

गंगा और गोमती के तट पर बसे इनका मन्दिर युगों से प्रेमी भक्तों व संतों को आकर्षित करता रहा है। मन्दिर में ताखे में ऊपर मार्कण्डेय जी हैं जो नीचे अवस्थित महादेवजी से लिपट कर अमर हो गए हैं। काल के डर से वे (12 वर्षीय मार्कण्डेयजी) शिवलिंगसे ऐसे लिपटे कि खुदाई में सात अरघा

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देहली विनायक Dehli Vinayak

Situated at Bhatouli on the third day of Panchkroshi parikrama one reaches here. 77th in order, it also acts as a notification point of the boundry of Kashiji. It is said that if one ties a thread at Madhyameshwar and holds its free end at this point then the circle made by this radius keeping

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पृथ्वीश्वर Prithwishwar

पांडेयपुर – खजुरी मार्गपर फ्लाईओवर से 600 मीटर दूर, पंचकोसी के मुख्य मार्ग से हटकर 104 वें देव के रूप में पृथ्वीश्वर अवस्थित हैं। इनकी स्थापना श्रीरामचंद्र जी के पूर्वज, राजा पृथु ने यहाँ करके अश्वमेध यज्ञ कराया था। इनके दर्शन करने से मनुष्य पृथ्वीपति होता है (का.ख. 83/74) काशी के पंचकोसी यात्रा की ऐसी

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कर्दमेश्वर महादेव KARDAMESHWAR MAHADEV

काशीजी के पचकोसी यात्रा के प्रथम दिवस के पड़ाव के देव, कर्दमेश्वर महादेव के लिये भवानी के साक्षी रहते हुए शिव ने कहा था, जो नर नारी आपके द्वारा (कर्दम ऋषि के द्वारा) स्थापित एवं पूजित कर्दमेश्वर का दर्शन पूजन व अर्चन करेंगे, उन दर्शनार्थियों-यात्रियों के मनोरथ पूर्ण होंगे और उनके परिवार में मेधावी, विद्वान

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काशीके पचकोसी यात्रा के विविध रंग

काशीजी की पंचक्रोशी यात्रा को प्रायः लोग नंगे पाँव से ले करके गाड़ी तक से करते हैं। परंतु आज मैं आपको उसके किये जाने के एक नए ढंग से परिचित करूँगा। धन्य हो उन सपूतों का जो ऐसे कार्य के सहभागी बन रहे हैं।। ।।सीताराम।।

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सती अनुसूया के पति अत्री ऋषि के द्वारा भगवान श्रीराम की स्तुति

वनवास के समय जब प्रभु श्रीरामचन्द्रजी अपनी पत्नी माता सीता व भैया लक्ष्मणजी के साथ चित्रकूट स्थित अत्री-अनुसूया के आश्रम पहुंचे तब ऋषि ने उनकी स्तुति इन्हीं शब्दों में की।

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रुद्राष्टक RUDRASHTAKAM

This is a Great way to please lord Shiva. शंकरजी की प्रसन्नता प्राप्त करने का एक श्रेष्ठ साधन रुद्राष्टक है। चन्द्र ग्रह को ठीक करने करने के लिए भी इसका पाठ उपयुक्त है। यदि आपके किसी अपने की बुद्धि बिगड़ गयी है तो उसके कल्याणार्थ भी इस पाठ को आजमाया जा सकता है। उज्जैन में

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