मोहिनी एकादशी
वैशाख शुक्ल पक्ष के एकादशी। यह केवल दो दिन वाली एकादशी में दूसरे ही दिन की मान्य होती है। यह बिना किसी खर्च के ही निष्पाप करने वाली एकादशी है। राम ने सीता वियोग जैसा दुख फिर न हो उसके उपाय के स्वरूप में इसको जाना था।
वैशाख शुक्ल पक्ष के एकादशी। यह केवल दो दिन वाली एकादशी में दूसरे ही दिन की मान्य होती है। यह बिना किसी खर्च के ही निष्पाप करने वाली एकादशी है। राम ने सीता वियोग जैसा दुख फिर न हो उसके उपाय के स्वरूप में इसको जाना था।
यह पुत्रदायिनी है। यह एकादशी पाप को भस्म करने वाली है। यह व्रत पिशाचत्त्व आदि दोषों एवं ब्रह्महत्या इत्यादि पापों को नष्ट करने में जितना सक्षम है उतना प्रभावी तीनों लोकों में कोई और उपाय नहीं है। ॥ सीताराम ॥
प्रभु की यह प्राचीनतम मूर्ति है। भगवान श्री कृष्ण की इस मूर्ति को भगवान राम ने स्वयं अपने हाथों से बनाया था एवं जानकी मइया इनकी पूजा स्वयं अपने कर कमलों से वर्षों तक करती रहीं। कथा सुनते हुये आप प्रभु का दर्शन भी कर सकेंगे। विशेष बात यह है कि यह चित्रकूट में कामद
इस एकादशी का बहुत महत्त्व है। इसके सुनने मात्र से कितने फल मिलते हैं उनकी जानकारी के लिए इस साढ़े नौ मिनट के वीडियो को अवश्य देखें। इसमें त्याज्य वस्तुओं एवं कर्मों की सूची दी गयी है। इसकी जानकारी हम सभी को होनी चाहिए। इस महात्म्य में विभिन्न दानों के महत्त्व के विषय में भी
ऊपर दिये गए बटन को क्लिक करके आप इस काण्ड के मूल पाठ को तो पढ़ सकते ही हैं। इसमें प्रधान प्रसंग की जानकारी भी अलग हेडिंग के रूप में लगातार सूचित किया जाने का प्रयास किया जाएगा। सोचने वाले सोच सकते हैं कि यह तो अनुक्रमणिका (इंडेक्स) मात्र है परंतु साथ साथ में कुछ विशिष्ट
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कुछ लोग अयोध्याकाण्ड को अवधकांड के नाम से भी पुकारते हैं। ऊपर दिये गए बटन को क्लिक करके आप इस काण्ड के मूल पाठ को तो पढ़ सकते ही हैं। इसमें प्रधान प्रसंग की जानकारी भी अलग हेडिंग के रूप में लगातार सूचित किया जाने का प्रयास किया जाएगा। सोचने वाले सोच सकते हैं कि