Author name: mandakini

An Interview with Devanand

Very impressive interview worth watching. Superstar Devananad at 80 gives says that man never becomes old he says man only matures and matures and then dies. देखिये इस जवां दिल का क्या कहना है। हर दिल अज़ीज़ पद्म भूषन सम्मानसे सम्मानित (2001) में देवानंदजी कितनी बेबाकी से जिन्दगी को सकूँन भरा बनाने का राज बताते […]

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सती अनुसूया के पति अत्री ऋषि के द्वारा भगवान श्रीराम की स्तुति

वनवास के समय जब प्रभु श्रीरामचन्द्रजी अपनी पत्नी माता सीता व भैया लक्ष्मणजी के साथ चित्रकूट स्थित अत्री-अनुसूया के आश्रम पहुंचे तब ऋषि ने उनकी स्तुति इन्हीं शब्दों में की।

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रुद्राष्टक RUDRASHTAKAM

This is a Great way to please lord Shiva. शंकरजी की प्रसन्नता प्राप्त करने का एक श्रेष्ठ साधन रुद्राष्टक है। चन्द्र ग्रह को ठीक करने करने के लिए भी इसका पाठ उपयुक्त है। यदि आपके किसी अपने की बुद्धि बिगड़ गयी है तो उसके कल्याणार्थ भी इस पाठ को आजमाया जा सकता है। उज्जैन में

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आदित्य हृदय स्तोत्र – तेज को प्रदीप्त करने का मन्त्रAditya Hriday Stotram – Verses meant for increasing will power & morale

राम को रावण के विरुद्ध युद्ध में उदास-मना देख अगस्त्य ऋषि ने जिस अमोघ मन्त्र को उन्हें दिया वह हम सभी के मनोबल को बढ़ाने वाली है। वाल्मीकि रामायण से लेकर आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ। ।।सीताराम।। इस स्तोत्र को सूर्योदय के पहले स्नान करके / तैयार हो करके उगते हुये सूर्य को अर्घ्य

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श्री सूक्त – देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने वाले मन्त्र Shri Suktam – Enchantments capable of Attracting Blessings of Goddess Laxmi

ऋग्वेदोक्त देवी सूक्त माता लक्ष्मीकी कृपा पाने का अमोघ साधन है। ।।सीताराम।।

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पुरुष सूक्तम् Purush Suktam – विष्णु स्तुति Prayer of Lord Vishnu

पुरुष सूक्त भगवान विष्णु के प्रीत्यर्थ गाया जाता है। शुभं भूयात। Purusha sukta (puruṣasūkta, Devanāgarī पुरुषसूक्तम्) is hymn 10.90 of the Rigveda, dedicated to the Purusha, the “Cosmic Being”. “The Bhagavata Purana and the Mahabharata boldly proclaim Vishnu as ultimate Purusha described in Purusha Sukta prayer”. ।।सीताराम।।

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भारत का पहला राष्ट्रगान व सुभाष बाबूके जीवनकी सचित्र झाँकी First National Anthem of India + Picture Gallery of Subhashji

यह गान 15 अगस्त सन् 1947 से 23 जनवरी सन् 1950 तक आज के राष्ट्र गीत के साथ-साथ भारतवर्ष में राष्ट्र गान के रूप में जन जन की वाणी को सुशोभित करता था। 24 जनवरी सन् 1950  से जन गण मन ने इस कंठाहार का स्थान ले लिया।   ऊपर दिया गया गान इस देश

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वन्दे मातरम् Vande Mataram – भारत का राष्ट्रीय गीत The National Song of India

वन्‍दे मातरम गीत बंकिम चन्‍द्र चटर्जी द्वारा संस्‍कृत व बंगला के मिश्रित शब्दों में रचा गया है; यह स्‍वतंत्रता की लड़ाई में लोगों के लिए प्ररेणा का स्रोत था। इसका स्‍थान जन गण मन के बराबर है। इसे पहली बार 1896 में भारतीय राष्‍ट्रीय कांग्रेस के सत्र में गाया गया था।इसके बोल नीचे लिखे हैं-

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Puspak Viman Part – I पुष्पक विमान भाग – 1

यह वैदिक ज्ञान एवं विकसित प्रौद्यौकी की एक झांकी है; महर्षि भरद्वाज ने एक पुस्तक लिखी थी ‘यन्त्रसर्वस्व’। उसमें 40 प्रकार के यंत्रों का वर्णन है। उनमें से एक प्रकरण वैमानिकी पर है। इस वैमानिकी प्रकरण में आठ अध्याय, 100 अधिकरण एवं 500 सूत्र थे। 25 प्रकार के विमानों में कुछ मांत्रिक होते थे जो

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