CRYPTOCURRENCY TO BE BANNED IN INDIA
About 10 crore Indians are going to loose as Crypto currency is going to be banned in India. Let us see what advise do we have for it. You tube below describes it.
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पापांकुशा अर्थात पापों पर अंकुश रखने वाली एकादशी – हमें पापों से बचा करके सुन्दर समाज के निर्माण में सहायक होती है साथ ही हमारे पितरों को भी पवित्र कर देती है. यह एकादशी हमारे माता और पिता के साथ ही साथ पत्नी और मित्र के भी पूर्वजों को तार ‘देती है. इसीलिए अच्छे लोगों
पापांकुशा एकादशी – कुवार के अजोरिया/ आश्विन शुक्ल की एकादशी Read More »
शरदीय नवरात्रि के आरम्भ में विनय पत्रिका के पद से देवी आराधना जय जय जगजननि देवि सुर-नर-मुनि-असुर-सेवि, भुक्ति-मुक्ति-दायनी, भय-हरणि कालिका । मंगल-मुद-सिद्धि-सदनि, पर्वशर्वरीश-वदनि, ताप-तिमिर-तरुण-तरणि-किरणमालिका ॥ १ ॥ वर्म, वर्मचर्म कर कृपाण, शूल-शेल-धनुषबाण, धरणि, दलनि दानव-दल, रण-करालिका । पूतना-पिशाच-प्रेत-डाकिनी-शाकिनी-समेत, भूत-ग्रह-बेताल-खग-मृगालि-जालिका ॥ २ ॥ जय महेश-भामिनी, अनेक-रूप-नामिनी, समस्त-लोक-स्वामिनी, हिमशैल-बालिका । रघुपति-पद परम प्रेम, तुलसी यह अचल नेम,
इन्दिरा एकादशी की कथा कृपया कथा के अन्त में 9 – 10 मिनट के यू ट्यूब को अवश्य ही देखिएगा आश्विन मास जिसे कुवार क महीना भी बोला जाता है उसके कृष्ण पक्ष में पितृ कार्य सम्पन्न करने के अतिशय महत्त्व होने से पूरे पक्ष को पितृ पक्ष कहा जाता है. पितरों को प्रसन्न करने
हस्त रेखा प्रश्नावली Palmistry एक ही समय में जन्मे विभिन्न व्यक्तियों की कुण्डली तो एक ही होगी परन्तु सभी के भाग्य अलाग अलग होते हैं. ऐसे में आपको उनके अलग भाग्य का कारण उनके हस्त रेखा में मिलेगा. सभी की रेखाएं व् पर्वत अलग होते हैं. अतः हाथ देखने वाला यदि कोई मिल जाए तो
इस एकादशी को पद्मा, परिवर्तिनी, जयन्ती, एवं वामन एकादशी के नाम से जाना जाता है। कुछ जगह एसे कर्मा एकादशी भी कहते हैं। इसकी दो कथा मिलती है। इसमें दोनों को ही बताया गया है।
इस एकादशी की कथा को सुनने के बाद हमें यह मालूम होगा कि राजा हरिश्चंद्र के दुखों का अंत कैसे हुआ
गीता प्रेस एवं श्री ठाकुर प्रसाद दोनों के ही प्रकाशनों के अनुसार इस एकादशी का नाम भी पुत्रदा है और पौष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी का नाम भी पुत्रदा ही है। दोनों का नाम एक ही कैसे हो सकता है। इस शंका का समाधान मलूक्पीठाधीश्वर श्री राजेन्द्र दास जी महाराज के द्वारा हुआ।
ब्रह्मवैवर्त पुराण में यह कथा आती है। इस एकादशी में तुलसी का महात्म्य स्वयं ब्रहमाजी ने नारदजी को सुनाया था जिसे श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिरजी को दोहराया। पिटरों को सुखी करने का इसमें बड़ा ही सरल उपाय बताया गया है। इसके सुनने मात्र से बहुत फल मिलता है।