भारतवर्ष ऋषियों का देश रहा है। ऋषियों ने अपने जीवन को खपा करके हमें स्वस्थ, सुंदर, निरोगी रहते हुये दीर्घायु प्राप्ति के अनेकानेक सूत्र दिये। वे सभी सूत्र प्राकृतिक हैं।
100 वर्ष की परिकल्पना तो सामान्य बात थी। हमारे कुंडली में 120 वर्षों तक जीने की संभावना मानी जाती थी तभी तो हमारे जीवन के महादशा को 120 वर्षों में बाँटा गया है। किसी की भी कुंडली उठा कर देखी जा सकती है उसमें 120 वर्षों तक चलने वाले ग्रह दशाओं का विवरण होता है। विन्ध्यके उस पार, अर्थात दक्षिण भारत की परिस्थितियाँ कुछ प्रतिकूल होने से यथा, अधिक गर्मी का होना। हरी सब्जियों का अपेक्षाकृत कम पाया जाना इत्यादि, वहाँ की औसत आयु को 108 वर्ष माना गया। उत्तर भारत में विंषोत्तरी दशा चलती है जबकि दक्षिण भारत में अष्टोत्तरी।
हमारे ऋषियों ने योग के माध्यम से न केवल हमें शारीरिक स्वास्थ्य दिया अपितु ईश्वर से जोड़ तक दिया। हम उनके वर्णन में क्या कह सकते हैं। सिर्फ उनके सीखों का अनुपालन ही कर लें। उनके ज्ञान ग्रन्थों में भरे पड़े हैं। परंतु कई लोग उनको पढ़ कर ऊब जाएँगे; क्योंकि वहाँ व्यवहार के साथ सिद्धान्त भी दिया होता है।
यहाँ पर मैं कुछ न कुछ उनकी व्यावाहारिक जानकारियों को दिया करूँगा। जिससे वह हमें पच सके।
Our saints have given us wonderful knowledge for long life by natural way. They have assured us of a minimum life span of 100 years and up to 120 years to North Indians & 108 years To South Indians in normal cases. For those who have observed abstinence there has been no limit. Saints are known to live for thousands of years. My Guruji is said to have been lived for thousands of years but he would have lived at least for over 1200 years as I could conclude by words spoken from him time to time.
The knowledge in books is enormous and a bit boring as there the pearls of wisdom are embedded in the placenta of theories and explanations. Also the language is Samskrit hence not easily understandable to many. I will try to give the useful and relevant points one by one so that one may be able to digest them and imbibe in the routine. Please keep following us.
Very nice