तुलसी Tulsi

अति विशेष बात – कृपया अंत में देखें।

दैवीय गुण –

तुलसी को कौन नहीं जानता होगा। विष्णुप्रिया इस कलिकाल में हमारे सामने साक्षात प्रकट रूप में स्थित हैं। अरे ये देवी हैं। क्यों भगवान के दर्शन के लिए भटक रहे हो।

पर्यावरण संरक्षण

ये पर्यावरण के लिए बहुत अच्छी मानी जाती हैं। आप घर के अंदर रख कर घर के प्राण वायु (ऑक्सिजन) की मात्र बढ़ा सकते हैं। जब पत्ती कुम्हलाने लगें तो उन्हें पुनः धूप में रख देना चाहिए।

औषधीय गुण

1 कान का दर्द – यदि किसी के कान में दर्द हो रहा है तो इसे जरूर आजमाइए। एक चम्मच शुद्ध सरसों के तेल में चार या पाँच तुलसी की हरी पत्ती खौलाएँ। ठंडा होने पर तुलसी को निकाल या छान दें। एवं तेल की एक या दो बूंद को डालें। मुझे राहत मिली थी। आशा करता हूँ कि यदि दर्द का कोई ऐसा कारण नहीं हुआ जहाँ डॉक्टर कि ही आवश्यक्ता है तो जरूर ठीक हो जाएगा। बार बार न डालें। एक या दो बार में ही ठीक हो जाएगा।

2 ऐन्टी ऑक्सीडेंट – हमारा शरीर अन्दर से निरंतर जल रहा हैoxidise हो रहा है। Anti Oxidant कि गोली खाने से वह प्रक्रिया कुछ हद तक वैसे ही थमती है जैसे पानी बुटियाने पर आग।

हम जिन एंटि आक्सिडेंट को खरीद कर खाते हैं उनके हो सकता है कुछ साइड इफैक्ट हों – हानिकर हों। न कुछ तो उनमें अच्छा खासा पैसा खर्च तो होता ही है।

तुलसी जी में प्रचुर मात्रा में ऐन्टी ऑक्सीडेंट होते हैं। प्रातः काल तुलसी के 5 से 10 पत्ते खाली पेट पानी से लेने से दिन भर कि पूर्ति हो जाती है।

3 तुलसी के प्रातः कालीन सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है एवं वह कैंसर तक में लाभकारी काही गयी है।

4 सर्दी-जुकाम-खांसी-बुखार में काढ़ा – दस से बीस पत्ती तुलसी कि पत्ती, 4 काली मिर्च, गुड़ 2 छोटे पीस, हल्दी लगभड़ 1 ग्राम या चुटकी, 1 इंच लंबी व आधी इंच चौड़ी अदरख को 4 कप पानी में धीमी आंच पर उबालें और 3 कप रहने पर कर गरमागरम फूँक फूँक के पी लें। राहत मिलेगी।

5 ग्रहण काल में विशेष उपयोग – ग्रहण काल में खाने पीने कि चीजें दूषित हो जाती हैं। उनको बचाने के लिए जल में, फ्रिज में, खाने में, पानी कि टंकी में तुलसी कि पत्ती डाल देते हैं। गाय के गोबर का भी प्रयोग किया जाता है।

जिनके पेट में बच्चा होता है ग्रहण के समय उनको गोबर से गोइंठ दिया जाता है माने हाथ में गोबर ले कर शरीर को गोलाई में सुरक्षा कवच के रूप में घेर दिया जाता है जिस अंग में शिशु पनप रहा है। मैं आश्वासन के साथ तो नहीं कह सकता हूँ कि वही लाभ मिलेगा; परंतु जिन महिलाओं को गोबर से लपेटा जाना अच्छा न लगता हो – चाहे दुर्गंध के कारण चाहे वे unhygenic समझती हों वे प्रयास कर सकती हैं। तुलसी की माला या कुछ पत्तियों को धागे में बांध कर पेट के चारों तरफ बाँध लें। शायद सुरक्षा हो जाये।

6 तुलसी का बीज बल व वीर्य वर्द्धक है – लगभग 50 ग्राम बीज को देशी घी में चला कर, चीनी मिला कर हलवा के रूप में धीमे धीमे चाट चाट कर खाने से लाभ मिलता है। यदि दाना का हलवा नहीं बना तो कोई बात नहीं उसे वैसे ही खा लें। आगे से पीस कर उसे घी में डालें। यह प्रयोग लगभग 45 वर्ष पूर्व पता चला था इसलिए हलवा कैसे बना था पूरा याद नहीं है।

सावधानी –

1 तुलसी को कभी भी दाँत से न कूँचे। उनको गोली बना कर दावा के रूप में घोंट जाइए। कुछ लोग कहते हैं कि उसकी मरक्युरि से दाँत का अपरदन जल्दी हो जाता है।

2 तुलसी को सीधे न तोड़ें। उनसे अपने काम को बता कर उस काम के लिए तोड़ने कि आज्ञा मांग कर ही तोड़ें।

3 रविवार, द्वादशी, अमावस्या, संक्रांति, ग्रहण एवं रात 12 से 3 बजे तक उनको न छुआ जाये।यदि पूजा में तुलसी का प्रयोग करना हो तो स्नान किये बिना उनको न उतारा जाये (पत्ती को तोड़ना)।

4 सामान्य रूप से किसी भी अशुद्धि में तुलसी के पास भी न जाएँ।

इनके विषय में और जानने के लिए नीचे क्लिक करें https://en.wikipedia.org/wiki/Tulsi_in_Hinduism

कुछ लोग तुलसी को ठाकुर जी कि पत्नी मानने के कारण उन्हें किसी अन्य देवता कि सेवा में प्रस्तुत नहीं होने देते हैं। भले ही उनके शरीर पर न भी चढ़ाना हो , केवल उनके प्रसाद में ही डालना हो तो भी नहीं डालते हैं। उनका सोच है कि किसी कि पत्नी को भला किसी दूसरे के प्रयोग में लगाने वाले हम कौन हैं।

।।सीताराम।।

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