वैशाख शुक्ल पक्ष के एकादशी। यह केवल दो दिन वाली एकादशी में दूसरे ही दिन की मान्य होती है। यह बिना किसी खर्च के ही निष्पाप करने वाली एकादशी है। राम ने सीता वियोग जैसा दुख फिर न हो उसके उपाय के स्वरूप में इसको जाना था।
वैशाख शुक्ल पक्ष के एकादशी। यह केवल दो दिन वाली एकादशी में दूसरे ही दिन की मान्य होती है। यह बिना किसी खर्च के ही निष्पाप करने वाली एकादशी है। राम ने सीता वियोग जैसा दुख फिर न हो उसके उपाय के स्वरूप में इसको जाना था।