2021
वसन्त पंचमी Vasant Panchami
कृपया 15 मिनट के मेरे यू ट्यूब को देखने के लिए ऊपर दिये गए लिंक को क्लिक करें/ छू लें वसंत पंचमी हिंदुओं का पावन पर्व है। इस समय धरती उल्लसित हो उठती है एवं शीत ऋतु के प्रस्थान की सूचना देने वाले इस पर्व में हमें जीने की नयी उमंग प्राप्त हो जाती है।
तन्त्रोक्तं देवी सूक्तम् Devi Suktam as per Tantra
तन्त्रोक्तं देवी सूक्तम् यह स्तोत्र देवताओं द्वारा देवी भगवती को प्रसन्न करने के लिये गाया गया था नमो देव्यै महादेव्यै शिवायै सततं नमः। नमः प्रकृत्यै भद्रायै नियताः प्रणताः स्म ताम् ।।1।। रौद्रायै नमो नित्यायै गौर्यै धात्र्यै नमो नमः । ज्योत्स्नायै चेन्दुरूपिण्यै सुखायै सततं नमः ।।2।। कल्याण्यै प्रणतां वृद्ध्यै सिद्ध्यै कुर्मो नमो नमः नैर्ऋत्यै भूभृतां लक्ष्म्यै
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प्रकृतिसे सीख – नभचर की जलचर से प्रीति Bird feeding Fish – NATURE
I have borrowed this video as I found it worth sharing as a great example of Commensalism. Commensalism is a long-term biological interaction (symbiosis) in which members of one species gain benefits while those of the other species neither benefit nor are harmed.
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हे प्रभु ! आनंद दाता !! ज्ञान हमको दीजिये
हे प्रभु आनंद दाता हे प्रभु आनंद दाता ज्ञान हमको दीजिये | शीघ्र सारे दुर्गुणों को दूर हमसे कीजिये || लीजिये हमको शरण में हम सदाचारी बनें | ब्रह्मचारी धर्मरक्षक वीर व्रतधारी बनें || निंदा किसीकी हम किसीसे भूल कर भी न करें | ईर्ष्या कभी भी हम किसीसे भूल कर भी न करें || सत्य बोलें झूठ त्यागें मेल आपस में करें | दिव्य जीवन हो हमारा यश तेरा गाया करें || जाये हमारी आयु हे प्रभु ! लोक के उपकार में |
माघकृष्ण पक्षकी षट्तिला एकादशी की मूल कथा
यह एकादशी तिथि से नहीं अपितु नक्षत्र से तय की जाती है। आर्द्रा या मूल नक्षत्र में ही इसका व्रत होना विधेय है। ।।सीताराम।।
माघकृष्ण पक्षकी षट्तिला एकादशी
इस एकादशी पर विधेय कर्म तिल जल में डाल कर स्नाना तिल को पीस कर उबटन लगावें तिल का हवन तिल डाल कर पानी पीये भोजन में तिल ले जैसे नाश्ते में तिल के लड्डू तिल का दान
शंकराचार्य विरचित देव्यपराध क्षमापन स्तोत्र
अद्वैतवाद के प्रवर्त्तक श्रीशंकराचार्य का देवी को अलग मानते हुए क्षमा याचना करना। यदि दूसरा कोई था ही नहीं तो देवी के आगे क्यों झुकना? उनसे क्षमा मांगने का अर्थ है कि उन्होंने माना कि उनसे कोई भूल हुयी है क्योंकि वे कोई हमारे कि तरह सामान्य व्यक्ति तो थे नहीं कि चलो मन में
दुर्गा द्वात्रिंशन्नाम माला -दुर्गा जी के 32 नाम 32 Auspicious Life Saving Names of Durga
यहाँ के ध्यान के विषय में लिखा है कि महिषासुर -मर्दिनी के ध्यान करना चाहिए। काशीजी में उनका मंदिर लोलर्क कुण्ड के पास है। मोक्षदायिनी काशी के पृष्ठ 33 पर उनके मंदिर होने का उल्लेख है। इस प्राण रक्षक स्तोत्रमें वर्णित 32 नाम निम्नलिखित हैं- दुर्गा, दुर्गार्तिशमनी , दुर्गापद्विनिवारिणी, दुर्गमच्छेदनी, दुर्गसाधिनी, दुर्गनाशिनी, दुर्गतोद्धारिणी, दुर्गनिहन्त्री, दुर्गमापहा,