माघकृष्ण पक्षकी षट्तिला एकादशी
इस एकादशी पर विधेय कर्म तिल जल में डाल कर स्नाना तिल को पीस कर उबटन लगावें तिल का हवन तिल डाल कर पानी पीये भोजन में तिल ले जैसे नाश्ते में तिल के लड्डू तिल का दान
इस एकादशी पर विधेय कर्म तिल जल में डाल कर स्नाना तिल को पीस कर उबटन लगावें तिल का हवन तिल डाल कर पानी पीये भोजन में तिल ले जैसे नाश्ते में तिल के लड्डू तिल का दान
अद्वैतवाद के प्रवर्त्तक श्रीशंकराचार्य का देवी को अलग मानते हुए क्षमा याचना करना। यदि दूसरा कोई था ही नहीं तो देवी के आगे क्यों झुकना? उनसे क्षमा मांगने का अर्थ है कि उन्होंने माना कि उनसे कोई भूल हुयी है क्योंकि वे कोई हमारे कि तरह सामान्य व्यक्ति तो थे नहीं कि चलो मन में
यहाँ के ध्यान के विषय में लिखा है कि महिषासुर -मर्दिनी के ध्यान करना चाहिए। काशीजी में उनका मंदिर लोलर्क कुण्ड के पास है। मोक्षदायिनी काशी के पृष्ठ 33 पर उनके मंदिर होने का उल्लेख है। इस प्राण रक्षक स्तोत्रमें वर्णित 32 नाम निम्नलिखित हैं- दुर्गा, दुर्गार्तिशमनी , दुर्गापद्विनिवारिणी, दुर्गमच्छेदनी, दुर्गसाधिनी, दुर्गनाशिनी, दुर्गतोद्धारिणी, दुर्गनिहन्त्री, दुर्गमापहा,