दुर्गा सप्तशती अध्याय 4 Shri Durga Saptsati 4
इन्द्रादि देवों द्वारा देवी की स्तुति – यह चौथा अध्याय दुर्गा सप्तशती के मध्यम चरित्र का यह तीसरा व अंतिम पाठ है।
इन्द्रादि देवों द्वारा देवी की स्तुति – यह चौथा अध्याय दुर्गा सप्तशती के मध्यम चरित्र का यह तीसरा व अंतिम पाठ है।
दुर्गा सप्तसती के दूसरे अध्याय में देवताओं के सम्मिलित तेज से उतपन्न देवी की कथा है। इसी अध्याय में महिषासुर की सेना का वध हो गया। महालक्ष्मी को प्रसन्न करने वाले मध्यम चरित्र के 3 अध्यायों का यह पहला अध्याय है।
संक्षेप में माउंटेन ऊँचे होते हैं एवं हिल या पहाड़ छोटे होते हैं। पहाड़ों पर आबादी रह लेती है जबकि ऊँचे माउंटेन्स पर सिर्फ शौकीन, पर्वतारोही व राष्ट्र के रक्षक सैनिक रहते हैं। मैदान (निचला) व पठार (ऊंचा) समतल भूूूभाग है। HILLS AND MOUNTAINS According to the U.S. Geological Survey, there is no official difference between hills and
Hill (टीला या छोटा पहाड़), Mountain (पहाड़), Plateau (पठार) & Plains (मैदान) Read More »
तंत्र में वर्णित इस रात्रिसूक्त का पाठ अतिसय फलदायी है।। दुर्गा सप्तसती में इसका मूल पाठ दिया हुआ है जिसे यहाँ गा कर प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है। प्रेमी लोग संस्कृत के मंत्रों का अर्थ जान सकें इसके लिए फोटो की जगह उनका हिन्दी में अर्थ दिया गया है। आइये इसको सुनें व
ग्राम अमरा में स्थित कर्दमेश्वर महादेव से 2.1 किलोमीटर दूर काशीके पंचक्रोशी परिक्रमा के 39 वें देव। Situated at about 2.1 kilometers from Kardameshwar, Kandawa this god is said to promise the security of the family members of those who are taking darshan from fear of snakes.
कर्दमेश्वर महादेव से 5 किलोमीटर दूर औढे गाँव में ये तीनों मन्दिर एक साथ खेत में हैं। मजे की बात है कि सरकार ने इनके नामों की पट्टिका अलग अलग स्थानों में उन मन्दिरों पर लगवा रखी है जो इनके मूल स्थान नहीं हैं। ।।सीताराम।। These are the real temples of Chamunda, Moksheshwar & Karuneshwar.
पचकोसी के भूले बिसरे त्रिदेव – चामुण्डा, मोक्षेश्वर, करुणेश्वर The Forgotten Trio Read More »
Situated in Village Delhna, 7 kilometers from Kardameshwar Mahadev, Kandawa, Varanasi, Goddess Vikta Durga finds a renowned place. She is famous for providing happiness, Knowledge and Wealth. Full detail is available in the book Mokshdayini Kashi, available here itself.
काशीजी की पंचक्रोशी यात्रा का तीसरा पड़ाव। यहाँ भगवान राम ने शिवजी की स्थापना किया During his visit to Kashiji Rama had established Rameshwar at 3 places. This one is at a place where Varanasi should have ended as the holy river Varuna separates this place from proper Kashiji. Following the action of Ram all
नक्षत्रेश्वर के दर्शन मात्र से नक्षत्र, ग्रह, और राशियों की पीड़ा समाप्त हो जाती है। (काशी खण्ड 15/9) यह स्थान काशीजी के गंगा व वरुणा के संगम पर स्थित आदिकेशव जी के मन्दिर के बाहर पूर्व दिशा में है। Mere darshan of Nakshatreshwar eradicates the problems created by bad Planetary positions, unfavourable constellations and problems