August 2020

Ginger अदरख

Ginger & Sounth or Sunthi are the same thing with a bit different effect. Those having problem of pilees should not use Ginger whereas they can use Sunthi without any problem. The benefits are more or less similar.
अदरख और सौंठ एक ही चीज हैं। जिनको बवासीर की शिकायत है उनको अदरख नहीं लेना चाहिये जबकि शौंथ या सोंठ निरापद है। अर्थात निश्चिंत हो करके लिया जा सकता है।

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प्राकृतिक संपदा, योग व आयुर्वेद GIFTS OF NATURE, YOGA & AYURVEDA

भारतवर्ष ऋषियों का देश रहा है। ऋषियों ने अपने जीवन को खपा करके हमें स्वस्थ, सुंदर, निरोगी रहते हुये दीर्घायु प्राप्ति के अनेकानेक सूत्र दिये। वे सभी सूत्र प्राकृतिक हैं। 100 वर्ष की परिकल्पना तो सामान्य बात थी। हमारे कुंडली में 120 वर्षों तक जीने की संभावना मानी जाती थी तभी तो हमारे जीवन के

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HOW MAY WE BE OF ANY OTHER HELP? क्या हम आपके किसी अन्य काम आ सकते हैं?

यदि आपकी कोई अन्य समस्या हो जिसके लिये आप खर्च करने को तैयार हैं परन्तु आपको कोई मददगार नहीं मिल रहा है तो एक बार हमें भी बताइये। यदि वाराणसी का काम हुआ तो शायद हम कुछ कर पाएँ।
If despite your willingness to spend you are not able to get any sort of help please let us also know. May be we may be of Help to you if the work happened to be of Varanasi.
॥ सीताराम ॥

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ASTROLOGICAL ज्योतिषीय

कोई प्रश्न पूछें फलित ज्योतिष अति गहन विषय है। गणित के विद्यार्थी जानते ही होंगे कि 12 एवं 9 का क्रमचय, 79,833,600 होता है। P(12,9) = n !/(n -r )! = 12!/3! = 12 x 11 x 10 x 9 x 8 x 7 x 6 x 5 x 4 = 79,833,600 अतः कुण्डली के

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INVITATION TO PACHKOSI YATRA 29.9.20 – 4.10.20 इस मलमास में पचकोसी यात्रा का बुलावा

पचकोसी यात्रा का निमंत्रण
श्रीगणेशायनमः श्रीगुरवेनमः
भगवान की असीम अनुकम्पा से तीन वर्षों में एक बार होने वाली अधिमास की पंचक्रोशी यात्रा में आप लोगों को आमंत्रित करने का सुअवसर पुनः प्राप्त हुआ है।
जिन लोगों को पैदल या पैदल चल रहे लोगों के साथ ऑटो , टोटो, रिक्शा या किसी भी अन्य साधनों से चलने की स्फुरणा हो रही हो वे अपने यहाँ से एक सप्ताह की छुट्टी ले लें।
प्रभु कृपा से यात्रा 29 सितम्बर दिन मंगलवार को प्रारम्भ होगी।
उस दिन सिद्धयोग होगा। शुभ भावनाओं से ओतप्रोत प्रेमियों के लिए भौमप्रदोष की यह यात्रा बहुत कल्याणकारी होगी।
यात्रा भोर में प्रारम्भ होगी अतः यात्रा प्रारंभ होने का समय भगवान भोलेनाथ के दिन सोमवार व त्रयोदशी तिथि में होने से आह्लादित करने वाली होगी।
यात्रा प्रारम्भ करने के एक दिन पहले ढुंढिराज गणेशजी की पूजा करने का विधान है। यह काशी रहस्य में वर्णित है, जिसे मैंने अपनी पंचकोसी यात्रा पर लिखी गयी पुस्तक “मोक्षदायिनी काशी” में भी लिखा है।
जो एक दिन पहले काशीजी आ कर उनका दर्शन-पूजन कर सकें वे 28 को ही उनका दर्शन करके हविष्यान्न खा कर रहें। ऐसा कर सकना अधिक कल्याणकारी होगा।
प्रभु ने चाहा तो यात्रा 4 अक्टूबर दिन रविवार के लगभग 11 बजे दोपहर तक पूर्ण होगी।
पूर्णिमा की रात्रि राम के हाथों स्थापित शिवलिंग, रामेश्वर, के सान्निध्य में व्यतीत होगी।
रामचन्द्रजी ने इस यात्रा को अपने बन्धु बांधवों, प्रजाजनों को सभी के परिवारों के साथ तो किया ही, अयोध्या के पशु पक्षी तक यात्रा में शामिल हुए थे।
राम ने यहां रामेश्वर की स्थापना किया।
यही वह रामेश्वर धाम है जहाँ प्राचीन काल में पंचक्रोशी एवं काशी की चौरासी कोस की यात्रा के मार्गों का संगम होता था।
मैंने अपनी पुस्तक मोक्षदायिनी काशी में चौरासी कोस के मार्ग से इस स्थान को हटा दिया है परन्तु उसका कारण वहाँ पर विधिवत लिखा गया है।
जिन लोगों को पारम्परिक रूप से यथा जमीन पर सोने में असुविधा न हो वे यात्रा के 2 दिन पहले भी मुझे सूचित कर सकते हैं परन्तु जिनको कमरे ले कर रहना हो वे मुझे शीघ्रता से सूचित कर दें जिससे कि मैं उनको बुक कर सकूँ। कमरे सीमित होते हैं। कमरों के चार्ज लगेंगे।
अपने सामानों को हमें ढोना न पड़े उसके लिए एक या दो साधन कर लिया जाएगा एवं मिलकर उसकी कीमत को चुका दिया जाएगा – वह बहुत ज्यादा नहीं हुआ करेगा। जो अपना सामान खुद ले जाना चाहेंगे उनको उस साधन का पैसा नहीं देना होगा। लोग जो घर में खाते हैं उसी खर्च में वह मार्ग में खा लेंगे। अतः इसके खर्च को खर्च नहीं मानें तो इसके अलावा और कोई खर्च नहीं लगेगा।
आप जो दान इत्यादि करना चाहें वह आपकी मर्जी।

जो लोग 5 दिन का समय न निकाल पावें वे गाड़ी से एक दिन में यात्रा करने के लिए मुझसे संपर्क कर सकते हैं। परन्तु वह खर्चीला होगा।

इस यात्रा में सवा सौ दर्शन तो करने का नियम है। मेरी पुस्तक मोक्षदायिनी काशी में सभी के अलग – अलग फल लिखे गए हैं। प्रभु ने चाहा तो मैं आपलोगों को वे फल भी बताता चलूँगा।
जो लोग पैदल यात्रा कर रहे होंगे वे गंगा तट के 108 तीर्थों से ज्यादा के सामीप्य का भी लाभ पाते चलेंगे। वे बहुत लाभकारी हैं। उन सभी के स्थानों एवं फलों को जानने के लिए आपलोगों को मेरी पुस्तक मोक्षदायिनी काशीके नए संस्करण (जिसमें पंचकोसी और चौरासी कोसी यात्रा के मानचित्र भी लगे हैं) का परिशिष्ट 14 अवश्य पढ़ना चाहिए।
।।शं करोतु स शंकरः।। ।।जय जय श्रीसीताराम।।

Those people who are desirous to circumbulate the holy city of Varanasi may join me on the given date free of cost.
Free of cost as one will be walking on his foot; eating in the way instead of in the house and pay nothing else than the following:
1. if he or she wishes to accompany those who are walking, many of them bare foot, but are not able to walk for around 15 k.m. per day then they will be helped with autoricksaw etc. on their cost.
2. Usually people rest in dharmshala and sleep on floor, sometimes even on roads. But those desirous of staying in rooms will have to pay for that and inform me about their requirement at the earliest as there are very less rooms available.
3. if one wishes to spend in poojan and danam, which one ought to do but not necessarily, then that too will be a expenditure.

Those desirous of completing it in a day itself may also do it. I will accompany them, provided i am free on that date. That will be expensive but fulfilling.
one can do this panchkroshi yatra any time in the year provided there are no restrictons like covid, but every 3 years one month is considered auspicious for it. this year it is from 18th Sept. to 16th Oct.
॥ सीताराम ॥

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We will try to add some value to your life. Daily giving you a point.
ज्ञान अपार है। एक साथ लेने की अपेक्षा प्रतिदिन कुछ न कुछ जीवनोपयोगी चीज लेने के लिए आपको यहाँ आना ही पड़ेगा।

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