स्त्री संग पर स्मृति वाक्य

  1. सगर्भा पत्नी से काम जनित सुख – गर्भवती स्त्री से छः महीने बाद विषय न करे। यह रोक बच्चे के दाँत निकालने तक लागू रहती है। (अत्रि स्मृति 163)
  2. जब तक पति व पत्नी एक शय्या पर सो रहे हैं तबतक दोनों ही अशुद्ध रहते हैं। यदि उनका संयोग न हुआ हो तो स्त्री के शय्या से उठते ही वह पवित्र हो जाती है परंतु पुरुष स्नान के बिना शुद्ध नहीं होता है। (अंगिरा स्मृति 40)
  3. मैथुन के बाद स्नान – ऋतुकाल में यदि गर्भाधान की इच्छा से मैथुन किया गया है तभी ही स्नान आवश्यक है। (यम स्मृति 16)
  4. भूलवश ब्रह्मचर्य भंग होने से स्नान मात्र से शुद्धि होती है अन्यथा प्रायश्चित्त आवश्यक है। (संवर्त्त स्मृति 27)
  5. संध्या कालों पर वर्जित कार्य – भोजन, शयन, मैथुन, पढ़ाई (संवर्त्त स्मृति 98)
  6. ऋतुमती पत्नी के पास जाना धर्म है – न जाने से दोष लगेगा (संवर्त्त स्मृति 99)
  7. वे स्त्रियाँ, जिनके साथ गमन करने का कोई प्रायश्चित्त ही नहीं है ; उनको सिर्फ मृत्यु दण्ड ही मिलना चाहिए – मित्र की पत्नी, सास, साले की पत्नी, माता, बहन, बेटी (संवर्त्त स्मृति)
  8. इनका दूध पीना मना है – स्त्री, भेड़ और संधिनी गौ (गर्भवती गाय) (संवर्त्त स्मृति 192)
  9. अन्त में लिखना चाहूँगा कि कुल कि निष्पक्ष वृद्ध माताएँ जो बतावें उनका भी सम्मान करना चाहिए। संभवतः मनु स्मृति में लिखा है कि यदि वेद मत और परंपरा में विरोध हो जाये तो कुल कि बड़ी स्त्रियॉं से पूछ कर निर्णय लेना चाहिए। ॥ सीताराम॥

समय-समय पर ऋषियों ने देश, काल एवं परिस्थितियों के अनसुार नियमों की व्याख्या किया जो तत्कालीन समाजके लिये मार्ग दर्शक का काम करती थी। उन युगदृशता ऋषियों के ही नाम पर उनके वचनों के संग्रह को स्मृति कहा गया। यथा मनु के वचनों के संग्रह को मनुस्मृति।

स्मृति सुधा में केवल 34 पृष्ठों में तमाम स्मृतियों के लोकोपयोगी वचनों का संग्रह प्रस्तुत किया गया है। यह पुस्तक 45 रुपए की है जो नीचे दिये गए लिंक के माध्यम से खरीदी जा सकती है।

स्मृति सुधा

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *