श्रीदेव्यथर्वशीर्षमम्, Devyatharwasheersham

अथर्व वेद में इसकी बड़ी महिमा गयी गयी है। दुर्गा सप्तसती के पाठ के पहले इस पाठ को करने से पाठ का फल अति ज्यादा हो जाता है।

तुरीय संध्या में करने से व्यक्ति को वाकसिद्धि प्राप्त हो जाता है।

मूर्ति स्थापना के समय इसे पढ़ने से मूर्ति में देवता का वास सुनिश्चित हो जाता है।

अमृतसिद्धि योग में पार्वती देवी के समीप इसके पाठ से महामृत्युसे तर जाने की बात कही गयी है।

इसके बहुत से फल हैं जो हिन्दी में ही इस वीडियो में लिखे मिलेंगे।

मूल पाठ भी आप सुनते हुये पढ़ते रह सकेंगे ।

॥ सीताराम॥

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *