शैलपुत्री माँ की आराधना

शरदीय नवरात्रि के आरम्भ में विनय पत्रिका के पद से देवी आराधना

जय जय जगजननि देवि सुर-नर-मुनि-असुर-सेवि,

भुक्ति-मुक्ति-दायनी, भय-हरणि कालिका ।

मंगल-मुद-सिद्धि-सदनि, पर्वशर्वरीश-वदनि,

ताप-तिमिर-तरुण-तरणि-किरणमालिका ॥ १ ॥

वर्म, वर्मचर्म कर कृपाण, शूल-शेल-धनुषबाण,

धरणि, दलनि दानव-दल, रण-करालिका ।

पूतना-पिशाच-प्रेत-डाकिनी-शाकिनी-समेत,

भूत-ग्रह-बेताल-खग-मृगालि-जालिका ॥ २ ॥

जय महेश-भामिनी, अनेक-रूप-नामिनी,

समस्त-लोक-स्वामिनी, हिमशैल-बालिका ।

रघुपति-पद परम प्रेम, तुलसी यह अचल नेम,

देहु ह्वै प्रसन्न पाहि प्रणत-पालिका ॥ ३ ॥

(विनय पत्रिका पद संख्या 16)

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