चौघड़िया मुहूर्त Choghadiya Muhurtam

‘दुघरी साधि चले ततकाला’ श्रीरामचरितमानस के अयोध्या काण्ड के 271/5 में लिखे दुघरी शब्द के अर्थ को तो मैं अभी खोज रहा हूँ। इसका प्रसंग यही है कि रधुवंशी दशरथजी के स्वधाम गमन के बाद भरत के रुख को जान लेने तक तो राजा जनकजी ने अयोध्याजी जाने से परहेज किया परन्तु जब दूतोंने उन्हें यथार्थ का ज्ञानउनका हृदय काँप उठा और अति विलंब हुआ जान कर तुरन्त चलने का निश्चय कर लिया। ऐसा करने के लिए वे दुघरी मुहूर्त देख कर चल दिये। यह शायद होरा पर आधारित होती है। विश्वसनीय तरीके से पता होने पर मैं इसके विषय पर भी लिखना चाहूँगा।

तब तक के लिए मैं बहु प्रचलित चौघड़िया मुहूर्त को प्रस्तुत कर रहा हूँ। आइये इसे अगले पृष्ठ पर देखें। ॥ सीताराम॥

Index

page 1 दुघरी – एक परिचय

page 2 चौघड़ी – एक परिचय Introduction to Choughadi muhurtam

page 3 जोड़ने की विधि

page 4 Calculation of Choughadi

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