ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी कहते हैं।
जल पीते हुये भी इस व्रत को कैसे पूर्ण कर लें कि हमें निर्जला व्रत रहने का फल मिले, इसे जानने के लिए इस कथा को जरूर सुनें।
आप पा सकते हैं 58 लाख 24 हजार किलो सोना दान करने का फल – इस एकादशी को। इसको सुनने के बाद आपको पता चलेगा वह कैसे।
क्योंकि पूरे वर्ष भर की एकादशियों का फल केवल और केवल इस एक एकादशी को निर्जल रह कर व्रत करने से मिल जाता है और इसे भीमसेनी एकादशी इसलिए कहते हैं क्योंकि इस फल युक्त एकादशी को भीमसेन के लिए प्रशस्त किया गया था।
ब्रह्माण्ड पुराण में दी गयी इस कथा में यह बताया गया है कि एकादशी के व्रत ही सर्वश्रेष्ट हैं एवं सबसे कम खर्च में सम्पन्न होने वाले हैं।
इसी एकादशी की कथा में यह जानकारी दी गयी है कि शौच के वजह से पूजा बंद क्यों न हो, एकादशी का व्रत कभी नहीं छूटना चाहिए।