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मोक्षा एकादशी का व्रत पितरों को अधम योनि से निकाल कर उनको तारने वाला है। इसमें तनिक भी संदेह नहीं हैं – भगवान् श्री कृष्ण के वचन.
यह व्रत चिंतामणि के सामान समस्त कामनाओं को पूर्ण करने वाला है.
इस व्रत के फल का श्रवण मात्र भी वाजपेय यग्य का फल देता है। ।।सीतारामजी।।