In the very beginning humanity was not divided into religions. Only one which prevailed was SANATAN DHARM that is ‘The Eternal Order of Code of Conduct’. All other religions are said to be at the most 2000 years old. Even in Shri Ram Charit Manas it is mentioned that Lord Rama was the only Emperor of whole of the Globe. भूमि सप्त सागर मेखला। एक भूप रघुपति कोसला7/21/1 So once upon a time whole of the world would have been having a number of religious places of our interest as they are in India now a days. But now only a few are known. Those known may be visited if planned. One should visit those places if God has made us wealthy. After all they are waiting for us. They are not having the desired company. Only we may give it to them. Lets do it.
उपर्युक्त चौपाई पढ़ कर सीना गर्व से फूल उठता है की किस जमाने में यह बात लिख दी गयी थी कि भूमि के चारों तरफ सागर मेखला अर्थात करधनी कि तरह है। विश्व को जब पता ही नहीं था कि पृथ्वी गोल है तभी हमारे ग्रन्थों में उसका वर्णन है। करधनी गोल ही तो होती है न।
आज के धर्म बामुश्किल 2000 वर्ष पुराने हैं । उनके पहले हमारी सनातनी परंपरा ही थी – जो मानव धर्म था – मानवीयता कि संवाहक थी। उस समय सर्वत्र अनेकानेक मंदिर रहे होंगे। परंतु आक्रांताओं के कारण आज कुछ ही रह गए हैं। वे भी ध्वस्त किए जा रहे हैं। यह हमारी उपेक्षा के ही कारण हो रहा है। वे देवता हम सपूतों का इंतेजार कर रहे हैं। आइये चलें वहाँ। ॥ जय जय श्रीसीताराम॥