Religious आध्यात्मिक

पापांकुशा एकादशी – कुवार के अजोरिया/ आश्विन शुक्ल की एकादशी

पापांकुशा अर्थात पापों पर अंकुश रखने वाली एकादशी – हमें पापों से बचा करके सुन्दर समाज के निर्माण में सहायक होती है साथ ही हमारे पितरों को भी पवित्र कर देती है. यह एकादशी हमारे माता और पिता के साथ ही साथ पत्नी और मित्र के भी पूर्वजों को तार ‘देती है. इसीलिए अच्छे लोगों […]

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शैलपुत्री माँ की आराधना

शरदीय नवरात्रि के आरम्भ में विनय पत्रिका के पद से देवी आराधना जय जय जगजननि देवि सुर-नर-मुनि-असुर-सेवि, भुक्ति-मुक्ति-दायनी, भय-हरणि कालिका । मंगल-मुद-सिद्धि-सदनि, पर्वशर्वरीश-वदनि, ताप-तिमिर-तरुण-तरणि-किरणमालिका ॥ १ ॥ वर्म, वर्मचर्म कर कृपाण, शूल-शेल-धनुषबाण, धरणि, दलनि दानव-दल, रण-करालिका । पूतना-पिशाच-प्रेत-डाकिनी-शाकिनी-समेत, भूत-ग्रह-बेताल-खग-मृगालि-जालिका ॥ २ ॥ जय महेश-भामिनी, अनेक-रूप-नामिनी, समस्त-लोक-स्वामिनी, हिमशैल-बालिका । रघुपति-पद परम प्रेम, तुलसी यह अचल नेम,

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इन्दिरा एकादशी – पितर पक्ष की एकादशी

इन्दिरा एकादशी की कथा कृपया कथा के अन्त में 9 – 10 मिनट के यू ट्यूब को अवश्य ही देखिएगा आश्विन मास जिसे कुवार क महीना भी बोला जाता है उसके कृष्ण पक्ष में पितृ कार्य सम्पन्न करने के अतिशय महत्त्व होने से पूरे पक्ष को पितृ पक्ष कहा जाता है. पितरों को प्रसन्न करने

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अजा एकादशी – भाद्रपद कृष्ण पक्ष की एकादशी

इस एकादशी की कथा को सुनने के बाद हमें यह मालूम होगा कि राजा हरिश्चंद्र के दुखों का अंत कैसे हुआ

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पवित्रा एकादशी – सावन शुक्ल पक्ष

गीता प्रेस एवं श्री ठाकुर प्रसाद दोनों के ही प्रकाशनों के अनुसार इस एकादशी का नाम भी पुत्रदा है और पौष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी का नाम भी पुत्रदा ही है। दोनों का नाम एक ही कैसे हो सकता है। इस शंका का समाधान मलूक्पीठाधीश्वर श्री राजेन्द्र दास जी महाराज के द्वारा हुआ।

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कामिका एकादशी श्रावण कृष्ण पक्ष

ब्रह्मवैवर्त पुराण में यह कथा आती है। इस एकादशी में तुलसी का महात्म्य स्वयं ब्रहमाजी ने नारदजी को सुनाया था जिसे श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिरजी को दोहराया। पिटरों को सुखी करने का इसमें बड़ा ही सरल उपाय बताया गया है। इसके सुनने मात्र से बहुत फल मिलता है।

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चातुर्यमास माहात्म्य

हरिशयनी एकाकाशी से प्रबोधिनी एकादशी तक के चार महीनों के समय को चातुर्मास कहते हैं। इस दौरान बरसात होती है अतः हमें सुरक्षित करने के लिए संतों ने इस काल में बाहर निकलने से हमें मना कर दिया। खाली इंसान खुराफाती न हो जाये अतः विभिन्न धार्मिक आयोजनों में हमें लग जाने को कहा गया

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हरि शयनी एकादशी अर्थात आषाढ़ शुक्ल की पद्मा एकादशी

आज के दिन भगवान विष्णु सोते हैं-पर कहाँ नहीं सोते हैं उसे जानें। शयन व्रत विधि एवं संक्षिप्त चातुर्यमास विधि। रामाननदाचार्य जी का पवित्र उद्घोष ‘जाति पाति पूछे नहिं कोई, हरि को भजे सो हरि का होई’। गृहस्थ को कृष्ण पक्ष की एकादशी का व्रत करना चाहिए या नहीं – इसका निर्णय सप्रमाण। ‘कह रघुपति

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योगिनी एकादशी – आषाढ़ कृष्ण पक्ष

योगिनी एकादशी को अनन्त श्री योगिराज श्री देवराहा बाबा जी का गोलोक गमन हुआ। उनको श्रद्धांजलि देने के लिये इसमें उनके ही चित्रों को मैंने सजाया है। जब आप इस यू ट्यूब को देख रहे होंगे तो आप इसके स्क्रीन शॉट में योगिराज श्री देवराहा बाबा के कुछ विचार भी जान सकेंगे , यथा- यज्ञ

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