मान्यवर ऋषियों ने समय समय पर हमें आवश्यकता के अनुरूप अपने समाज के सुगम संचालन हेतु नियमों को दिया। वे नियम उन ऋषियों की सम्पदा होने से उन्हीं के नामों से जानी गईं। यथा मनु स्मृति एवं याज्ञवलक्य स्मृति।
उपर्युक्त दोनों स्मृतियाँ अति लंबी होने से स्वतंत्र रूप से प्रकाशित की जाएंगी। प्रस्तुत पुस्तिका में मैंने लुप्त हो रही प्रमुख स्मृतियों के उन वचनों को संकलित किया है जो आज भी उपयोगी हैं।
कहीं – कहीं पर आप [ ] इस प्रकार के कोष्ठक के मध्य में कुछ लिखा पाएंगे, वे आर्ष वाक्य नहीं हैं अपितु मेरी व्याख्या हैं। ज्ञान का यह खजाना प्रत्येक सनातन प्रेमी द्वारा अवश्य पठनीय है।
Since time immemorial our Saints have been striving to keep the society streamlined. For this they kept on making rules. The set of such rules came to be known by their names as Manu Smriti & Yagyawalkya Smriti.
The 2 mentioned above are so long that they need separate publications hence the same are left for future but those teachings which may be followed even today of some of the important Smritis which are available now – a – days are collected here. At places my personal inputs are also imbibed with brackets like this [ ].
Copy and paste this URL into your WordPress site to embed
Copy and paste this code into your site to embed