मरीजों पर महामृत्युंजय मंत्र का असर जानने के लिये राम मनोहर लोहिया अस्पताल में सरकारी संस्था आई सी एम आर (इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च -ICMR) के द्वारा प्रायोजित अध्ययन
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वर्ष 2019 में यह खबर विभिन्न समाचारों के सुर्खियों में था जब मंत्रों के ऊपर वैज्ञानिक शोध का सकारात्मक नतीजा आना प्रारम्भ हो गया। गंभीर बीमारियों से पीड़ित लोगों के बचाव के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जाप लोग कराते रहे हैं, लेकिन इसे महज उनकी आस्था ही माना जाता रहा है। लेकिन जब दिल्ली के राममनोहर लोहिया अस्पताल में इसके प्रभाव को जानने के लिए स्टडी प्रारम्भ हुआ तो सकारात्मक परिणाम आने से आध्यात्मिक लोगों को अति हर्ष हुआ।
वस्तुतः अपने देश में ऐसा बहुत कुछ है जिस पर हमें गर्व होना चाहिए। अपने यहाँ आचार्य श्री राम शर्माजी ने कई वैज्ञानिक अध्ययन भी कराये। परंतु उन्होने उसे शायद विश्व स्तर पर डॉकयुमेंट नहीं कराया होगा। समय-समय पर उपवास (पीरियॉडिक फास्टिंग) का चलन अपने देश में हजारों सालों से है। श्रद्धालु चतुर्दशी, एकादशी जैसे व्रत रखते हैं, लेकिन अपने देश में इस पर कोई स्टडी नहीं हुई है, जबकि 2016 में मेडिसिन का नोबेल प्राइज जिस जापानी डॉक्टर को मिला, उन्होंने इसी पर ही अपना अध्ययन किया था। जापानी डॉक्टर ने अपनी स्टडी में बताया कि पीरियॉडिक फास्ट करने वालों के अंदर बीमारी वाले सेल्स खत्म हो जाते हैं। खासकर कैंसर सेल्स मर जाते हैं। इसी पर उनको नोबल पुरस्कार मिला है।
अब अच्छा है कि अपने देश में भी ऐसा कुछ शोध प्रारम्भ हो गया है। अपने देश में महा मृत्युंजय मंत्र को लोग जीवन बचाने वाला मानते हैं। यह उनका विश्वास है, कोई साइंटिफिक स्टडी नहीं है।
महामृत्युंजय मंत्र के साइंटिफिक फैक्ट्स जानने के लिए स्टडी की जा रही है। स्टडी की फंडिंग इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने की है।
रिसर्च करने वाले डॉक्टर का दावा है कि एक-दो महीने के अंदर फाइनल रिपोर्ट आ जाएगी। अर्थात अप्रैल 21 तक।
अस्पताल के न्यूरोसर्जन डॉक्टर अजय चौधरी और उनकी टीम इस पर स्टडी कर रही है। 20-20 लोगों के दो ग्रुप बनाकर तीन साल की स्टडी हो रही है। लगभग डेढ़ वर्षों में यह पाया गया कि जिन 20 मरीजों के लिये मंत्र जप किए गए उनमें से 18 ठीक हो गए जबकि वही डॉक्टर शेष 20 में से एक भी मरीज को ठीक नहीं कर पाये हैं।
हेड इंजरी के कारण कोमा में आए मरीजों को दो अलग-अलग ग्रुप में बांटा गया। हेड इंजरी के इलाज का जो प्रोटोकॉल है उसके अनुसार दोनों ग्रुप के मरीजों का इलाज किया गया, लेकिन इसमें से एक ग्रुप के मरीजों हेतु महामृत्युंजय मंत्र का अनुष्ठान कराया गया। इसके लिए कुतुब इंस्टिट्यूशनल एरिया स्थित संस्कृत विद्यापीठ से संपर्क किया, उन्हें इस स्टडी में शामिल किया गया। कई किलोमीटर दूर हो रहे जप का असर देखा जा रहा है। यह दूसरे ग्रुप के साथ आकलन किया जा रहा है। आकलन के बाद इस रिपोर्ट को मेडिकल जर्नल में भेजा जाएगा।
A unique line of treatment is underway at Dr Ram Manohar Lohia hospital where patients with serious head injuries are made to listen to vedic Mahamrityunjay mantra and study its effects on them.
The chanting of the ancient Vedic mantra, from Rig Ved, is believed to ward off untimely death. People for long have been chanting Mahamrityunjay mantra for the recovery of their terminally-ill loved ones. Now, a study is being conducted at the RML hospital to know more about the effects of Mahamrityunjay mantra on the patients.
During the study, Mahamrityunjay mantra is being done for people with head injury who have been in coma since long. The study has shown good results and the final report will be ready in a month or two.
Head of the neurosurgery department, doctor Ajay Chaudhary and his team are conducting the study, which is being funded by the Indian Council of Medical Research. According to Dr Ajay, the study took three years and now is in its last phase.
Forty people with head injuries were divided in two groups of twenty each and they were all treated according to the protocol.
18 out of 20 have shown remarkable cure for whom the mantra were repeated. There has been nearly no change in the other group.