यह बजरंग बाण पूर्ण है। इसमें कुछ चौपाइयाँ ज्यादा हैं जो तुलसी घाट स्थित हनुमान मंदिर में से प्राप्त उनके हाथ से लिखे पुस्तक को देख करके बढ़ायी गईं हैं। कविराज गोपीनाथ पानटजी के सुपुत्र पं. विश्वनाथ दीक्षित का इसमें बहुत बड़ा योगदान है; क्योंकि वह प्रति केवल विशिष्ट लोगों को ही सुलभ हो सकता है। ॥ सीताराम॥