चैत्र कृष्ण पक्ष की एकादशी का नाम पापमोचनी एकादशी है। शिव के द्वारा पराजित काम देव ने उनके शिष्य ऋषि मेधावी को निशाना बनाया। वे 57 वर्ष तक अप्सरा के साथ ऐसे रहे मानो रात को आई हुई सुबह होने के पहले जाना चाहती है। ‘देखहु काम प्रताप बड़ाई’ परंतु इस एकादशी का ऐसा महत्त्व है कि ऋषि के सारे तप के फल का पुनरागमन हो गया। ऐसा आश्वास्न मिला है हमें नव संवत्सर में प्रवेश के पहले। जो भी गलती हुई हो उससे मुक्त होने का। //जय जय श्री सीताराम//