यहाँ के ध्यान के विषय में लिखा है कि महिषासुर -मर्दिनी के ध्यान करना चाहिए। काशीजी में उनका मंदिर लोलर्क कुण्ड के पास है। मोक्षदायिनी काशी के पृष्ठ 33 पर उनके मंदिर होने का उल्लेख है।
इस प्राण रक्षक स्तोत्रमें वर्णित 32 नाम निम्नलिखित हैं-
- दुर्गा,
- दुर्गार्तिशमनी ,
- दुर्गापद्विनिवारिणी,
- दुर्गमच्छेदनी,
- दुर्गसाधिनी,
- दुर्गनाशिनी,
- दुर्गतोद्धारिणी,
- दुर्गनिहन्त्री,
- दुर्गमापहा,
- दुर्गमज्ञानदा,
- दुर्गदैत्यलोकदवानला,
- दुर्गमा,
- दुर्गमालोका,
- दुर्गमात्मस्वरुपिणी,
- दुर्गमार्गप्रदा,
- दुर्गमविद्या,
- दुर्गमाश्रिता,
- दुर्गमज्ञान संस्थाना,
- दुर्गमध्यान भासिनी,
- दुर्गमोहा,
- दुर्गमगा,
- दुर्गमार्थस्वरुपिणी,
- दुर्गमासुर संहन्त्री.
- दुर्गमायुध धारिणी,
- दुर्गमांगी,
- दुर्गमता,
- दुर्गम्या,
- दुर्गमेश्वरी,
- दुर्गभीमा,
- दुर्गभामा,
- दुर्गभा,
- दुर्गदारिणी