चंडी कवचम् CHANDI KAWACHAM

चंडी कवच या देवी कवच श्रीदुर्गासप्तशतीजी के पाठ के प्रारम्भ में पढ़ा जाता हैं.

यह पाठ श्री मार्कन्डेय पुराण में दिया गया है.

इस रक्षा कवच का स्वतंत्र पाठ भी किया जा सकता है.

इसको दिन में तीन बार पढ़ना बड़ा ही लाभदायक होता है.

रिकॉर्डिंग में यह पाठ साढ़े सात मिनट का हो गया है परन्तु सामान्यतया अभ्ययास हो जाने के पश्चात यह पांच मिनट में हो जाता है.

इसके हिंदी अर्थ को साथ में इसलिए दिया गया है जिससे की जानकारी होने पर प्रीत बढे.

इस कवच के पाठ के प्रारम्भ में प्रार्थना करनी चाहिए कि हे देवि ! आप महान् बल एवं महान् उत्साह उत्पन्न करने वाली हैं . आप महान् रौद्ररूप धारण करके एवं अत्यंत घोर पराक्रम पूर्वक अपने भक्तों के महान् से महान् भय को दूर कर देती हैं. आपको प्रणाम है – बारम्बार प्रणाम है. मेरी रक्षा कीजिये.

विनियोग – प्रारम्भ में विनियोग किय़ा जाता है. इसका अर्थ है की हाथ में जल ले करके उसे पढ़ा जाए एवं विनियोगः कहने के बाद उस जल को जमींन पर या किसी पात्र में छोड़ दिया जाये.

पाठ के अंत में इति या सम्पूर्ण इत्यादि न बोलें .

Chandi Kawach or Devi kawach is an integral part of Shri Durga Saptsati, a well known book of Goddess Durga.

This portion is very powerful and gives protection.

Its independent recitation is also allowed. If read thrice a day one gets heavily protected.

One should teach his child to read it since begining. This 5 minutes’ Kawach fills us with great power if we are righteous.

In the beginning one should take few drops of water in right hand and when the word ‘Viniyogah’ is recited should drop the same on ground or in a pot, to be thrown away in a clean place later on.

One should not speak out the words clarifying that the kawach has ended.

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